गुजरात स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने हाल ही में खुलासा किया कि एमबीबीएस डॉक्टरों से ग्रामीण सेवा की अनिवार्यता पूरी न करने की स्थिति में बॉन्ड पेनल्टी के रूप में 671 करोड़ रुपये एकत्र किए गए हैं। यह जानकारी उन्होंने राज्य विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान साझा की। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे डॉक्टरों से और 270 करोड़ रुपये वसूले जाने की आशा है, जो अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा नहीं करना चाहते।
गुजरात सरकार की नीति के अनुसार, सब्सिडी वाली चिकित्सा शिक्षा का लाभ उठाने वाले छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य सरकार के स्वास्थ्य ढांचे में काम करने का वादा करने वाले एक बांड पर हस्ताक्षर करना होता है। बांड की शर्तों के अनुसार, यदि डॉक्टर अपने बांड दायित्वों को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें बांड जुर्माना के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
राज्य सरकार ने इस नीति के तहत एक नई घोषणा की है, जिसमें डॉक्टरों को अनिवार्य सेवा की अवधि को दो साल से घटाकर सिर्फ डेढ़ साल कर दिया गया है। इसके अलावा, बांड से मुक्त होने के लिए छात्रों को एमबीबीएस के लिए 20 लाख रुपये और पीजी कोर्स के लिए 40 लाख रुपये का बांड शुल्क देना होगा। यह नीति उन छात्रों पर लागू होती है जो बांड की शर्तें पूरी नहीं करना चाहते।
यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने और चिकित्सा शिक्षा के लाभों को व्यापक समुदाय तक पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इससे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी और सब्सिडी वाली चिकित्सा शिक्षा का लाभ उठाने वाले छात्रों पर अपने बांड दायित्वों को पूरा करने का अतिरिक्त दबाव बनेगा।